Priyanka06

Add To collaction

लेखनी कहानी -04-Aug-2022 बच्चे होते कोमल

शीर्षक-बच्चे होते कोमल

बच्चे होते कोमल,
लद गए है कंधों पर बोझ,
लगी है आज पढ़ाई की होड़
सब हो गए हैं आज मौन।

जिस उम्र में खेलते
उस उम्र में सीख रहे एबीसीडी,
जिस उम्र में करना है अक्षर ज्ञान,
उस उम्र में करा रहे किताबों का विस्तार।

हो रहा है बच्चों के साथ अन्याय,
बोझ के तले दब गया उनका वर्तमान,
बढ़ गया है पुस्तक का विस्तार,
ऊंचा दर्जा पाने की होड़ लगी है आज।

बच्चों को सिखाओ जरूरी ज्ञान,
किताबों का बोझ कम करो आज,
करो उनकी मासूम आत्मा का भान
 दिमाग पर मत डालो दबाव।

लाद दिया उनके कंधे पर बोझ,
बच्चे होते कोमल
जितना हो जरूरी , उतना उनको सिखाओ ज्ञान,
कोमल पंखुड़ियों को खिलने दो आज।

ना छीनो उनका बचपन,
ना बनाओ बच्चों को पत्थर,
खिलने दो फूल बनकर,
समाज का बनने दो भविष्य।

नव निर्माण मस्तिक में ना डालो इतना बोझ
करने दो उनको मौज-मस्ती,
खुलकर उनको जीने दो।
आत्मज्ञान उनका बढ़ने दो।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

नॉनस्टॉप प्रतियोगिता भाग -17

   22
3 Comments

Parangat Mourya

13-Feb-2023 10:19 PM

Khoob 💐👍

Reply

Pankaj Pandey

05-Aug-2022 01:51 PM

Bahut achhi rachana

Reply

Gunjan Kamal

05-Aug-2022 08:36 AM

बहुत खूब

Reply